Thursday, October 23, 2025
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मातृभूमि योजना: गाँवों के विकास में प्रवासी और स्थानीय नागरिकों की भागीदारी।

  • मातृभूमि योजना से गाँवों में बुनियादी ढांचे का विकास: 12 परियोजनाएँ पूरी, 24 निर्माणाधीन, 28 नए दानदाता जुड़े।
  • लखनऊ, गोरखपुर, उन्नाव समेत आठ जिलों में मातृभूमि योजना के तहत सड़क, सोलर लाइट और सार्वजनिक सुविधाओं का विकास।
  • गाँवों में स्कूल, खेल परिसर और सड़क जैसी सुविधाएं अब नागरिकों और सरकार की साझा पहल से हो रही विकसित।

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पंचायती राज विभाग द्वारा शुरू की गई ‘मातृभूमि योजना’ ग्रामीण विकास का एक अनूठा उदाहरण बन चुकी है। यह योजना प्रवासी और प्रदेश में रह रहे नागरिकों को अपने पैतृक गाँवों के विकास में सीधी भागीदारी का अवसर प्रदान कर रही है। लोग अब अपने गाँवों में सरकारी सहयोग से स्कूल, कला अकादमी, खेल परिसर, सीसी रोड, हाईमास्ट लाइट जैसी सार्वजनिक सुविधाएं विकसित करवा रहे हैं। इस योजना के अंतर्गत व्यक्ति या संस्था को परियोजना की कुल लागत का 60 प्रतिशत योगदान स्वयं करना होता है, जबकि 40 प्रतिशत राशि राज्य सरकार द्वारा दी जाती है।

पंचायती राज मंत्री ओम प्रकाश राजभर का कहना है कि यह योजना जनसहभागिता से विकास की दिशा में एक नई पहल है, जो समाज और शासन को एक सूत्र में बाँधती है। पंचायती राज विभाग इस योजना के संचालन, पारदर्शी ऑनलाइन पंजीकरण और प्रगति की निगरानी में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।

अब तक 12 परियोजनाएँ पूरी हो चुकी हैं, 24 परियोजनाएँ निर्माणाधीन हैं और 28 नए संभावित दानदाता सामने आए हैं।* लखनऊ, गोरखपुर, उन्नाव, हरदोई, इटावा, कासगंज, मथुरा और देवरिया जैसे जिलों में इसके सकारात्मक परिणाम दिखाई दे रहे हैं। कुछ प्रमुख कार्यों में बागपत में सीसी रोड निर्माण, गोरखपुर की ग्राम पंचायतों जंगल रानी सुहास कुंवारी और नारायणपुर में सीसीटीवी कैमरों की स्थापना, हरदोई में सरदार पटेल स्मारक हेतु टीन शेड, लखनऊ की ग्राम पंचायत खुशहालगंज में सोलर लाइटें, इटावा की जेतपुर जमनापार और पुरा मोरंग में स्ट्रीट लाइटें, उन्नाव की कलौन पंचायत में 20 सोलर स्ट्रीट लाइटें, कासगंज के नगला कुंदन में इंटरलॉकिंग सड़क, मथुरा के तरौली शुमाली में महाराणा प्रताप की प्रतिमा और चौराहे का सौंदर्यीकरण तथा देवरिया की मटियारा जगदीश पंचायत में 11 सोलर लाइटें शामिल हैं।

यह योजना न केवल बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ कर रही है, बल्कि प्रवासी नागरिकों को अपने गाँवों से भावनात्मक रूप से भी जोड़ रही है। हर पूर्ण परियोजना पर लगाए गए शिलापट्ट पर दानकर्ता का नाम अंकित किया जाता है, जिससे यह भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनती है। मातृभूमि योजना अब एक जनांदोलन का रूप ले रही है, जिसमें समाज, प्रशासन और सरकार मिलकर गाँवों के भविष्य को संवार रहे हैं। यह योजना ग्रामीण आत्मनिर्भरता, सामाजिक एकता और भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक बन चुकी है। उत्तर प्रदेश के गाँवों में जो बदलाव दिख रहा है, उसके पीछे सरकार की संवेदनशील सोच और प्रवासी नागरिकों का समर्पण समान रूप से काम कर रहा है।

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