Thursday, October 23, 2025
Homeअम्बेडकरनगरसदियों-सदियों से चला आ रहा करवा चौथ व्रत त्यौहार को बड़े ही...

सदियों-सदियों से चला आ रहा करवा चौथ व्रत त्यौहार को बड़े ही धूमधाम से मनाया गया

  • धार्मिक,पारंपरिक एवं पारिवारिक संबंधों का अटूट बंधन करवा चौथ व्रत का त्यौहार 
  • एक सभ्य समाज के निर्माण की भूमिका निभाता है करवा चौथ व्रत का त्यौहार 

अम्बेडकर नगर। हिंदू धर्म में विशेष महत्व स्थान रखने वाला करवा चौथ व्रत स्त्रियों के लिए महत्वपूर्ण एवं विशेष त्योहार जिसमें स्त्रियां अपने पति के दीर्घकालिक आयु के लिए समर्पण की भावना से करवा चौथ का व्रत धारण करती हैं।हिंदू धर्म में इस त्यौहार की बहुत बड़ी और विशेष मान्यताएं हैं।

सुहागन स्त्रियां इसे बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाती है। हजारों वर्षों से चली आ रही है पुरातन त्यौहार के विषय में मान्यता है कि यह त्यौहार हजारों वर्ष पहले जब युद्ध लडने के लिए पति जाते थे तो पत्नियां अपने पति की सुरक्षा, मंगल कामना कुशलतापूर्वक सुरक्षित वापसी के लिए करवाचौथ व्रत धारण करती थी।

इसी तरह मगरमच्छ की भी कथा काफी प्रचलित है जिसमे मगरमच्छ के द्वारा एक स्त्री के पति को मगरमच्छ निगल जाता है पति को वापस पाने के लिए पत्नी कल से भी लड़ जाती है पत्नी के प्रेम संबंध विश्वास और समर्पण से प्रभावित होकर कल भी उसके पति को पुनः जीवितकर देता है और उस पतिव्रता स्त्री को अपना पति पुन: वापस मिल जाता है।स्त्रियां अपने पति की दीर्घकाल के लिए करवाचौथ व्रत रखती हैं और संकल्प लेती हैं। मान्यता है कि महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण जी महासंग्राम के दौरान द्रौपदीजी को भी करवाचौथ व्रत धारण करने का उपदेश दिया था इसलिए कहा जाता है यह त्यौहार सुहागन स्त्रियों के लिए बहुत गहरा महत्व रखता है प्रेम समर्पण और पति-पत्नी के अटूट बंधन और संबंधों का अमिट प्रतीक है। सुहागन स्त्रियां करवाचौथ व्रत धारण कर अपने पति की लंबी आयु,सुख, समृद्धि और कल्याण के लिए सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक कठोर व्रत को धारण करती हैं।

करवा चौथ का व्रत बहुत ही प्राचीन हजारों वर्षों से चली आ रही अपने धार्मिक,आध्यात्मिक,पारिवारिक बंधन और परंपराओं का संगम है जो एक बहुत ही विशेष और महत्वपूर्ण सांस्कृतिक उत्सव के रूप में प्रचलित हो चुका है।

बताते चलें कि करवाचौथ व्रत के विषय में नारद पुराण, स्कंद पुराण और महाभारत में दर्शाया गया है।

“करवा” शब्द का अर्थ है पानी रखने वाला मिट्टी का बर्तन, “चौथ” का अर्थ है कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी और व्रत का अर्थ होता है धारण करना (संकल्प करना) और यह व्रत बहुत ही कठिन होता है जो की विशेष रूप से महिलाओं के लिए बना हुआ है जो महिलाओं के अदम्य साहस,धैर्य,पराक्रम, सहनशक्ति और पवित्रता को दर्शाता है। सुहागिन महिलाएं अपने सासू मां द्वारा तैयार किए गए भोजन (सरगी) से अपना दिन की शुरुआत करती है सूर्योदय के बाद पूरा दिन निर्जला व्रत धारण करती है और इस दौरान दिनभर अनुष्ठान करती रहती है और अपने पारंपरिक परिधान 16 श्रृंगार के साथ हाथों में मेहंदी रचाती हैं। शाम होने पर करवा चौथ की कथा सुनने एवं उपहार से भारी करवा मिट्टी के बर्तन का आदान-प्रदान करने के लिए समूह में एकत्रित होती है। चंद्रोदय इंतजार होता है और जैसे ही यह क्षण आता है महिलाएं चलनी से चंद्रमा का दर्शन करती हैं क्योंकि हिंदू धर्म में मान्यता है कि चंद्रमा एक दिव्य शक्ति का कुंज है जो मन की शांति सुकून और स्थिरता का प्रतीक है सुहागन स्त्रियां चंद्रोदय चंद्रमा की पूजा करती है और चलनी से चंद्रमा को देखती हैं फिर अपने पति को देखती हैं के उपरांत पति के हाथों से जल पीकर व्रत का पालन करती हैं और पति का आशीर्वाद प्राप्त कर खुशी से इस अनुष्ठान को पूरा करती है। करवाचौथ व्रत का यह पूरा दृश्य पूरे भारत के कोने-कोने में नजर आता है इसी क्रम में नगर पंचायत अशरफपुर किछौछा में बड़े ही धूमधाम से हर्षोल्लाह के साथ करवा चौथ व्रत के त्यौहार को मनाया गया। महिलाएं अपने अनुष्ठान में सुबह से ही लगी हुई नजर आई और शाम होने के तक चंद्रमा का इंतजार करती हुई भी नजर आई जैसे ही चंद्रोदय होते ही पूरे विधि-विधान के साथ अपने अनुष्ठान को पूर्ण करती है।

यह खूबसूरत सुंदर दृश्य चारों तरफ नजर आया जो पति-पत्नी के प्रेम संबंध को पारिवारिक प्रेम का संगम उमंग एवं भावनाओं से ओतप्रोत कर्तव्य और निष्ठा का प्रतीक है। नगर के सम्मानित विवेक श्रीवास्तव ने बताया कि करवा चौथ व्रत स्त्रियों की पवित्रता प्रेम संबंध एवं पारिवारिक संबंधों के अटूट बंधन का ऐसा संगम है जिसे परिभाषित कर पाना आसान नहीं। यह त्यौहार पति-पत्नी के बीच के संबंधों और विश्वास को गहरा करता है यदि हर विवाहित स्त्रियां इस त्यौहार को पूरी आस्था,श्रद्धा और स्वच्छ मन से अनुष्ठानों का अनुसरण करें तो मन के कुविचारों व विकारों का नाश हो जाता है समाज में न जाने कितनी बुराइयों का अंत हो जाएगा और सभ्य एवं स्वच्छ समाज का निर्माण होगा।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments