अम्बेडकरनगर । पूर्वांचल के प्रतिष्ठित तीर्थस्थल सिद्ध पीठ महात्मा गोविंद साहब की तपोस्थली पर गोविंद दशमी से प्रारंभ हो रहे ऐतिहासिक मेले का उद्घाटन मुख्य अतिथि विधान परिषद सदस्य हरिओम पांडेय एवं विशिष्ट अतिथि कटेहरी विधायक धर्मराज निषाद व जिला पंचायत अध्यक्ष श्यामसुन्दर वर्मा उर्फ साधू वर्मा ने समारोहपूर्वक 236वें मेले का फीता काटकर शुभारंभ किया।
तत्पश्चात महात्मा गोविंद साहब की समाधि पर मत्था टेक आशीर्वाद के उपरांत मेला क्षेत्र का भ्रमण भी किया। मेला स्थित मंडी परिषद के सभागार में आयोजित समारोह में विधान परिषद सदस्य हरिओम पांडेय ने कहा कि गोविन्द साहब की तपोस्थली हमारे आस्था एवं श्रद्धा का केंद्र है, महात्मा गोविंद साहब ने मानवता के कल्याण के लिए आपसी प्रेम, भाईचारा, शांति व सदभाव का संदेश दिया है। उद्घाघाटन समारोह की अध्यक्षता कर रहे जिला पंचायत अध्यक्ष श्याम सुंदर वर्मा उर्फ साधू वर्मा ने कहा महात्मा गोविंद साहब हमारी सभ्यता एवं संस्कृति के भी स्त्रोत रहे हैं,हम सभी को उनके द्वारा दिये गये आदेशों को आत्मसात करना चाहिए। उन्होंने प्रशासनिक अमले को मेले में सभी दुकानदारों व श्रद्धालुओं को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने का निर्देश दिया।
समारोह में लोकगायक रामस्वरूप फैजाबादी ने कलाकारों के साथ लोकगीत, स्वागत गीत आदि से बेहतरीन समा बांधा। इस दौरान अपर मुख्य अधिकारी जितेंद्र कुमार,अवर अभियंता रमेश कुमार सहित जिला पंचायत सदस्य गण पूर्वांचल के सुप्रसिद्ध महात्मा गोविंद साहब मेले का उद्घाटन मुख्य तिथि हरिओम पांडे तथा जिला पंचायत अध्यक्ष श्याम सुंदर साधू वर्मा हवन पूजन करके मुख्य गेट का फीता काटकर किया। इस दौरान पूर्व विधायक त्रिवेणी राम,अनीता कमल , पूर्व जिलाध्यक्ष मिथिलेश त्रिपाठी,जमुना प्रसाद चतुर्वेदी, अकबरपुर ब्लॉक प्रमुख आनंद वर्मा,रमाशंकर सिंह,जिला पंचायत सदस्य अजीत यादव,अश्विनी यादव,अंगद निषाद,रविंद्र यादव, धर्मेन्द्र यादव,मोहम्मद मक्की,प्रतिमा यादव,पुन्दरी गौतम, प्रीति भास्कर मेला समिति अध्यक्ष भौमेंद्र सिंह पप्पू सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
महात्मा गोविंद साहब की समाधि लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है। शनिवार को गोविंद दशमी पर श्रद्धालु यहां पवित्र सरोवर में आस्था की डुबकी लगायेगे। मेले में पूर्वांचल के विभिन्न जनपदों से आने वाले श्रद्धालु महात्मा गोविंद साहब की समाधि पर प्रसाद के रूप में चादर,खिचड़ी व लाल गन्ना चढ़ाते हैं तथा प्रसाद के रूप में खजला और गन्ना ले जाते हैं।

