आलापुर (अंबेडकरनगर)। जहां एक ओर देश 11 सितंबर को राष्ट्रीय वन शहीद दिवस मना रहा है, वहीं आलापुर तहसील क्षेत्र के महारनपुर नहर किनारे दबंगई का ऐसा मामला सामने आया है, जो प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करता है।
ग्रामीणों के अनुसार, लालजी पुत्र तपई, सुभाष पुत्र सैलेश और तपई पुत्र सुभाष ने रात के अंधेरे में पीडब्ल्यूडी की भूमि पर लगे बबूल के पेड़ को अवैध रूप से काट डाला। इतना ही नहीं, घटना छिपाने के लिए जड़ों को खोदकर मिट्टी से भर दिया गया ताकि पेड़ की शिनाख्त ही मिट जाए।
यह घटना घटित हुए कई दिन बीत चुके हैं, लेकिन वन विभाग और प्रशासन की ओर से अब तक किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई है। ग्रामीणों का कहना है कि शिकायत करने के बावजूद विभाग मौन साधे हुए है, जिससे दबंगों के हौसले और बुलंद हो रहे हैं।
यह लापरवाही उस समय और भी चुभने वाली है क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर 11 सितंबर को वन शहीद दिवस मनाया जाता है। यह वही दिन है जब 1730 में राजस्थान के खेजड़ली गांव में अमृता देवी बिश्नोई और उनके तीन सौ से अधिक साथियों ने वृक्षों की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए थे।
आज जब सरकार वृक्षारोपण पर करोड़ों रुपये खर्च कर “हरित प्रदेश” का सपना दिखा रही है, तो सरकारी ज़मीन पर लगे पेड़ों को दबंगों द्वारा काटे जाने और उस पर कार्रवाई न होने से सरकार की नीतियों की साख पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
ग्रामीणों ने मांग की है कि प्रशासन तुरंत इस मामले में दोषियों पर कड़ी कार्रवाई कर उदाहरण पेश करे, अन्यथा वृक्षारोपण अभियान केवल कागज़ी साबित होगा।
वहीं जब वनरेंजर आलापुर से बात किया गया तो कार्रवाई के नाम पर पल्ला झाड़ते से नजर आए।