- जलालपुर पुलिस तो SC व HC और शासन के फरमानों का पलीता लगा रही
- लॉ एंड ऑर्डर कोई मायने नहीं रखता जलालपुर पुलिस के लिए
- क्या जलालपुर पुलिस इसी तरह से अपने पुलिसमित्र होने का कर्तव्य निभाती है?
- आम जनता तो छोड़िए साहब सीनियर पत्रकार के सम्मान से खेलने की कोशिश करती हैं
- कोतवाल साहब सच्चाई ही तो दिखाया था सहन नहीं हुआ तो ग्रुप से रिमूव
अंबेडकर नगर। जलालपुर कोतवाली पुलिस अपने कर्तव्य और निष्ठा को दरकिनार करते हुए मीडिया की सुर्खियां बनने को बेताब रहती है ऐसे-ऐसे कारनामें कर जाती है जो पूरे विभाग का सर शर्म से झुका देती है वर्दी की लाज भी नहीं रखती।
कहते हैं कि पुलिस का जन्म ही चोरी जैसे संगीन अपराध को रोकने के लिए ही हुआ है क्योंकि अपराध की पहली जननी चोरी ही होती है और यही से सारे अपराधों का जन्म और विस्तार होता है किंतु यहां तो अजब-गजब का कारनामा हो गया। यूं कहें कि पैरों तले जमीन ही खिसक गयी हो कोतवाली परिसर के अंदर से ही सीज किये गये डीजे का कीमती उपकरण रहस्यमय ढंग से गायब हो गया।
जी हां आप सही सुन रहे हैं यह मामला उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जनपद के कोतवाली जलालपुर का है जो आजकल अपने कारनामों से मीडिया की सुर्खियां बनी है।
जलालपुर पुलिस को सच्चाई दिखाने वाले पत्रकारों से परहेज है। इनकी वाहवाही लिखो तो ठीक वरना आपको ग्रुप से बाहर कर देंगे।
डीजीपी साहब! पत्रकार तो सच का आईना ही दिखाता है तो फिर जलालपुर कोतवाल सच्चाई उजागर करने से इतना तिलमिला क्यों उठे? खुद तो रिमूव नहीं कर सके बल्कि पूर्व में तैनात सिपाही रोहित सिंह जो कि वर्तमान में किसी गैर थाने में तैनात है के द्वारा एक सीनियर व सम्मानित पत्रकार को ग्रुप से रिमूव कर दिया। क्या यह पत्रकार की गरिमा और प्रतिष्ठा पर ठेस पहुंचाना नहीं है?क्या पुलिस के लिए यह शर्म की बात नहीं है कि कोतवाली परिसर से ही कीमती उपकरण रहस्यमय ढंग से गायब हो जाय?
बताते चलें कि दुर्गा विसर्जन के दौरान ट्रैक्टर-ट्राली पर लगे एक डीजे सिस्टम को अधिक ध्वनि के कारण जलालपुर पुलिस ने विधिक कार्रवाई करते हुए सीज कर दिया था और कोतवाली परिसर में रखवा दिया। न्यायालय से रिलीज होने का आदेश मिलने के बाद जब डीजे संचालक कोतवाली पहुंचा तो देखा की कुछ कीमती उपकरण जिसमें एक मशीन,मिक्सर व डिस्ट्रीब्यूटर गायब था।पीड़ित अपने सभी उपकरणों को पाने के लिए अड गया तो कोतवाली पुलिस के हाथ पांव फूलने लगे और कोतवाली पुलिस बिल्कुल असहाय नजर आने लगी तब कहीं जाकर पुलिस और डीजे संचालक के बीच समझौता होता है और डीजे संचालक प्रवेश कुमार व रविकांत निवासी महेशपुर जनपद सुल्तानपुर ने लिखा कि न्यायालय से रिलीज होने के बाद कोतवाली पहुंचा तो कीमती उपकरण एक मशीन मिक्सर डिस्ट्रीब्यूटर प्राप्त नहीं हुआ को उपलब्ध कराया जाए। जिस पर कोतवाली की मोहर और पीड़ित के हस्ताक्षर हुए हैं तब कहीं जाकर डीजे संचालक अपना वाहन ले जाने को तैयार हुआ। कमाल तो देखिए साहब इस सनसनी खेज वारदात के बाद पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों को खगालना शुरू किया तो वारदात का खुलासा हुआ और पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया किंतु यहां भी सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं।
क्या इस सनसनी खेज वारदात में सिर्फ दो ही आरोपी है या फिर किसी को बचाया जा रहा है जिस वाहन से कीमती उपकरणों को चोरी कर ले जाया गया उसे बरामद करने में आखिरकार जलालपुर पुलिस अभी तक नाकाम क्यों साबित हो रही है?
इसी सच्चाई को मीडिया ने उजागर कर दी तो सच्चाई उजागर होते ही कोतवाल जलालपुर संजय सिंह तिलमिला उठे आव देखा न ताव पूर्व में तैनात सिपाही रोहित सिंह जो कि वर्तमान में जलालपुर कोतवाली में तैनात भी नहीं है किसी गैर थाने में तैनाती है और ग्रुप का ग्रुप एडमिन भी है के द्वारा त्वरित रूप से सीनियर एवं सम्मानित पत्रकार आरपी सिंह को रिमूव कर दिया जाता है।
अब सवाल तो उठाता ही है कप्तान साहब!आपके कोतवाल साहब कितने कर्तव्यनिष्ठ हैं और जनता के प्रति कितना उत्तरदायित्व निभा रहे हैं और पुलिसमित्र का कितना परिचय दे रहे हैं कि क्षेत्रीय पत्रकार बंधुओ से भी इनका पुलिसमित्र वाला संबंध दयनीय नजर आ रही है जो सिपाही जलालपुर कोतवाली में तैनात नहीं है वो जलालपुर कोतवाली के ग्रुप में कर क्या रहा है? क्या लाॅ एण्ड आर्डर की अवमानना नहीं है ?
क्या सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट और शासन स्तर से पत्रकारों के हित में सम्मान में और पुलिस से संबंध स्थापित करने के जो आदेश व निर्देश दिये जाते हैं क्या जलालपुर पुलिस के लिए मायने नहीं रखती? मतलब क्षेत्रीय पत्रकार थाने के ग्रुप में नहीं रह सकता किंतु एक गैर थाने में तैनात सिपाही ग्रुप में रह सकता है वह भी ग्रुप एडमिन बनकर वाह क्या जंगलराज है उत्तर प्रदेश सरकार के अरमानों पर पालीता लगाने में जलालपुर पुलिस कोई कोताही नही कर रही है बल्कि पूरी तत्परता से लगी है सरकार के प्रयासों को असफल बनाने में।
क्या जलालपुर पुलिस सिर्फ अपेक्षा यही रखती है कि उसकी वाहवाही लिखी जाए चापलूसी की खबरें लिखी जाए तो एक सम्मानित व सीनियर पत्रकार जो सच्चाई के लिए अपने कलाम को उठाता है वह तो दोनों पक्षों पर पैनी नजर रखता है और सच्चाई को लिखता है।
एक सच्चे पत्रकार की कलम को रोकने या दबाने का प्रयास करना कहां तक उचित है। सच्चाई को डंके की चोट पर लिखा जाएगा। रही बात ग्रुप से रिमूव करने की तो जवाब देने की जिम्मेदारी जलालपुर कोतवाल संजय सिंह का है। क्या पत्रकार बंधु थाने या कोतवाली पुलिस के ग्रुप में सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए नहीं रह सकता। अब सवाल है कि सिपाही रोहित सिंह किसके कहने पर एक सीनियर और सम्मानित पत्रकार को ग्रुप से रिमूव किया? दूसरा सवाल जब कोतवाली में तैनात नहीं तो कोतवाली जलालपुर की ग्रुप में कर क्या रहा था? शायद कोतवाल को इस बात का अंदाजा नहीं होगा कि क्षेत्र में इस घटिया कृत्य को लेकर कितना आक्रोश व्याप्त है। नवागत पुलिस कप्तान से जिले की प्रशासनिक व्यवस्था चुस्त दुरुस्त और बेहतर की उम्मीद जनता करती है लेकिन यहां तो सब ढाक के तीन पात नजर आ रहा है। कोतवाल साहब बताइए क्या पीड़ित का कीमती उपकरण गायब नहीं हुआ अगर है तो सवाल उठता है कि कोतवाली परिसर से कैसे चोरी जैसे संगीन वारदात को अंजाम दिया गया जहां 24 घंटा वर्दीधारी की तैनाती हो जिनके भरोसे पर जनता अपने आप को सुरक्षित महसूस करती हो और यदि कोतवाली परिसर ही नहीं सुरक्षित है तो जलालपुर पुलिस जनता को किस बात का सुरक्षा व्यवस्था का भरोसा दे पाएगी।
प्रश्नचिन्ह तो बहुत बड़ा है।
मामला उजागर होते ही दो शातिर चोरों को गिरफ्तार किया गया और सलाखों के पीछे भेज दिया गया किंतु क्या सीसीटीवी कैमरे में कीमती सामान को जिस वाहन से ले जाया गया क्या उसकी फोटो/वीडियों सीसीटीवी कैमरे में नहीं आई। आखिरकार वाहन बरामद क्यों नहीं किया गया सवाल तो बनता है। जलालपुर पुलिस क्या छुपा रही है या क्या छुपाना चाहती है?
कोतवाल साहब जवाब तो देना ही पड़ेगा। अगर तिलमिलाहट इतनी ही है तो वारदात का सीसीटीवी फोटो/ वीडियो सार्वजनिक कीजिए जनता जानना चाहती हैं कि चोरी जैसी वारदात को अंजाम देने वाले चोर कौन-कौन है? नाम और चेहरा दोनों बेनकाब होना चाहिए जिससे जनता सतर्क रह सके क्योंकि जलालपुर पुलिस खुद अपने ही परिसर को सुरक्षित करने में असहाय साबित हो रही है तो जनता को कैसे सुरक्षा प्रदान कर पाएगी सवाल बहुत बड़ा है। इस घटना को लेकर जनमानस में चर्चा आम है और लोगों में आक्रोश भी व्याप्त है।
अगले अंक में इस घटना की सच्चाई को और तह तक पढने और जानने के लिए बने रहिए गोविंदवार्ता न्यूज़ के साथ।