अंबेडकर नगर। आलापुर तहसील अंतर्गत विकास खंड जहांगीरगंज में पीड़ितों को न्याय मिलना एक नामुमकिन सपना बनता जा रहा है। शिकायत करने वाले नागरिकों की बात सुने बिना ही ब्लॉक कार्यालय में बैठे कर्मचारी फर्जी एवं मनगढ़ंत निस्तारण रिपोर्ट तैयार कर उच्च अधिकारियों को भेज रहे हैं, जिससे न केवल पीड़ितों के साथ अन्याय हो रहा है, बल्कि शासन-प्रशासन की छवि भी धूमिल हो रही है।
ताजा मामला ग्राम पंचायत खरूवांव की संविदा पर नियुक्त केयर टेकर रीता निषाद का है। रीता वर्ष 2021 से समूह के प्रस्ताव एवं पूर्व ग्राम प्रधान-सचिव की संस्तुति पर नियुक्त हैं और कार्यरत भी हैं। उनके पास बकायदा कार्य से संबंधित सीसीटीवी फुटेज, नोटरी शपथ पत्र, समूह प्रस्ताव और मानदेय भुगतान हेतु पूर्व सचिव द्वारा जारी बाउचर मौजूद हैं।
4 जुलाई को पीड़िता ने मुख्य विकास अधिकारी (C.D.O.) को शिकायती पत्र सौंपा, लेकिन उसी दिन उन्हें हाजिरी लगाने वाले ग्रुप से संविदा कर्मचारी राघवेंद्र यादव द्वारा निकाल दिया गया। तीन दिन बाद सीडीओ कार्यालय से फोन आया कि खंड विकास अधिकारी (B.D.O.) ने शिकायत के संबंध में जवाब देते हुए कहा – “जब वह काम ही नहीं करती तो मानदेय क्यों चाहिए?”
यह बयान न सिर्फ तथ्यहीन है, बल्कि पीड़िता की वर्षों की मेहनत और दस्तावेजों को दरकिनार करने वाला है। रीता के पास अपने कार्य के प्रमाणस्वरूप न केवल दस्तावेज हैं, बल्कि कार्यस्थल की उपस्थिति से संबंधित फोटो और वीडियो भी मौजूद हैं।
ब्लॉक कार्यालय के कर्मचारियों द्वारा इस प्रकार झूठी रिपोर्ट भेजकर शिकायतों का निस्तारण दिखाना गंभीर अनियमितता का मामला है। इससे पीड़ितों को वर्षों तक न्याय के लिए कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कोई एकमात्र मामला नहीं है। ब्लॉक में कई पीड़ितों के साथ ऐसा हो रहा है, जिससे आम जनमानस का सरकारी व्यवस्था में विश्वास डगमगाने लगा है।
मांग उठ रही है कि इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कर दोषी कर्मचारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके और प्रशासन की गरिमा बनी रह सके।