अंबेडकर नगर। आलापुर तहसील अंतर्गत विकास खण्ड जहांगीरगंज में स्वच्छ भारत मिशन से जुड़े संविदा कर्मचारी राघवेन्द्र यादव की मनमानीपूर्ण कार्यशैली से क्षेत्रीय लोगों में भारी आक्रोश है। राघवेन्द्र यादव बीते पांच वर्षों से खंड प्रेरक के पद पर तैनात हैं और लगातार एक ही विकास खंड में जमे हुए हैं। अब उन पर गंभीर आरोप लग रहे हैं कि वह ऑनलाईन हाजिरी प्रणाली का दुरुपयोग कर अपने चहेतों को फायदा पहुँचा रहे हैं, जबकि ईमानदारी से काम करने वालों को हाशिए पर डाल दिया जाता है।
ताजा मामला ग्राम पंचायत खरूवांव का है, जहां बीते चार वर्षों से सेवा दे रहीं केयर टेकर रीता निषाद को 4 जुलाई से आनलाइन हाजिरी देने से रोक दिया गया। रीता का दोष सिर्फ इतना था कि उन्होंने मुख्य विकास अधिकारी से मानदेय रोकने की शिकायत की थी। आरोप है कि पंचायत चुनाव में प्रधान को समर्थन न देने के चलते सचिव द्वारा हस्ताक्षरित मानदेय बाउचर पर भी प्रधान ने दस्तखत नहीं किए और उनका मानदेय अब तक रोक दिया गया है।
वहीं दूसरी ओर राघवेन्द्र यादव के कुछ पसंदीदा केयर टेकर बिना ड्यूटी किए भी रोजाना हाजिर दिखाए जा रहे हैं। ग्राम पंचायत श्यामपुर अलऊपुर इसका बड़ा उदाहरण है, जहां का सामुदायिक शौचालय निष्क्रिय पड़ा है। मौके पर पत्रकारों द्वारा की गई जांच में पाया गया कि शाम सात बजे तक शौचालय बंद था और उस पर ताला लटका हुआ था। स्थानीय ग्रामीण – प्रेमा, मनोरमा, धनदेई, तारा, ललिता, अनिल, वृंदावन आदि ने बताया कि शौचालय न तो खोला जाता है और न ही कोई सफाई होती है।
चौंकाने वाली बात यह भी सामने आई कि शौचालय पर नियुक्त केयर टेकर कभी नहीं आती, बल्कि उसकी बेटी कभी-कभार फोटो खींचकर और वीडियो बनाकर ताला लगाकर चली जाती है। ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि उक्त केयर टेकर ग्रुप में कभी शामिल नहीं होती, बल्कि उसकी बेटी ही ग्रुप में रहकर अन्य महिलाओं से अभद्रता करती है – और यह सब राघवेन्द्र यादव की सह पर हो रहा है।
जानकार सूत्रों का कहना है कि राघवेन्द्र यादव के आनलाइन हाजिरी ग्रुप में केवल 10–15 केयर टेकर ही नियमित रूप से हाजिरी लगाते हैं। बाकी को या तो जोड़ा ही नहीं गया है या जानबूझकर हटा दिया गया है। कई ऐसे कर्मचारी जो कभी गैरहाजिर नहीं रहे, उन्हें भी ग्रुप से रिमूव कर दिया गया है। आरोप यह भी है कि सुविधा शुल्क न देने वाले कर्मियों के साथ भेदभाव किया जाता है, जबकि चहेतों को कार्य से पूरी तरह मुक्त रखा जाता है।
यह भी सवाल उठ रहा है कि आखिर एक संविदा कर्मचारी पांच वर्षों से एक ही विकास खंड में क्यों तैनात है? क्या इस पर खंड विकास अधिकारी जहांगीरगंज एवं मुख्य विकास अधिकारी अंबेडकर नगर की विशेष कृपा है? लोगों की मांग है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए।
स्वच्छ भारत मिशन जैसे जनहितकारी योजना को कुछ जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों द्वारा पंगु बनाया जा रहा है। अब देखना यह है कि प्रशासन इन गड़बड़ियों पर क्या कार्रवाई करता है।