Saturday, July 26, 2025
HomeBlogपंचनद तट पर हिमांशु शेखर परिदा की रेत कला का अनोखा प्रदर्शन

पंचनद तट पर हिमांशु शेखर परिदा की रेत कला का अनोखा प्रदर्शन

  •  पांच नदियों के संगम पर सजेगी सैंड आर्ट की बेमिसाल प्रस्तुति
  •  9 जनवरी 2025: पंचनद तट पर कला और प्रकृति का संगम

पंचनद, इटावा : विश्व के अनोखे पांच नदियों—चंबल, यमुना, सिंध, पहुज और क्वारी—के महासंगम पर चंबल संग्रहालय के बैनर तले कटक, उड़ीसा के सुविख्यात सैंड आर्टिस्ट हिमांशु शेखर परिदा अपनी रेत कला का जादू बिखेरेंगे। आगामी 9 जनवरी 2025 को पंचनद तट उनके उत्कृष्ट सृजन से गुलजार होगा। हिमांशु शेखर परिदा भारतीय रेत कला के क्षेत्र में एक अग्रणी कलाकार हैं, जिनकी रचनात्मकता और तकनीकी कौशल ने उन्हें वैश्विक मंच पर ख्याति दिलाई है। उनकी कलात्मक यात्रा कटक के एक समृद्ध कलात्मक विरासत वाले परिवार में आरंभ हुई। उनके पिता, गगन बिहारी परिदा, जो एक प्रसिद्ध चित्रकार और मूर्तिकार थे, ने हिमांशु के बचपन में ही उनके भीतर कला के प्रति प्रेम और समर्पण का बीज बोया।

दस वर्ष की आयु में हिमांशु ने अपने पिता के मूर्तिकला कार्यों में हाथ बंटाना शुरू किया। उनके शुरुआती दिन कटक की शांत नदियों के किनारे रेत के साथ खेलते हुए बीते, जो आगे चलकर उनकी हस्ताक्षर कला का आधार बना। 12वीं के बाद उन्होंने दृश्य कला में स्नातक की पढ़ाई उत्कल संस्कृति विश्वविद्यालय से की, जहां उन्हें उत्कृष्टता के लिए स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्होंने मूर्तिकला में विशेषज्ञता के साथ परास्नातक डिग्री प्राप्त की।

उनकी रेत मूर्तियां न केवल भारत में बल्कि इटली, स्लोवेनिया, ऑस्ट्रिया और नेपाल जैसे देशों में भी प्रदर्शित हुई हैं। उनकी कृतियां पारंपरिक तकनीकों और आधुनिक सौंदर्यबोध का अद्भुत संगम हैं। उनके कला कार्य शक्तिशाली सामाजिक संदेशों को उजागर करने के साथ-साथ ऐतिहासिक हस्तियों जैसे नेताजी सुभाष चंद्र बोस और स्वामी विवेकानंद के योगदान को सम्मानित करते हैं।

हिमांशु ने डिजिटल मीडिया के माध्यम से अपनी कला के दायरे को और विस्तृत किया। रेत, पत्थर, लकड़ी, मिट्टी और मिक्स मीडिया के साथ-साथ डिजिटल कला में उनकी विशेषज्ञता ने उन्हें बहुमुखी कलाकार के रूप में स्थापित किया है। उनका हर कार्य उनकी रचनात्मकता और कला के प्रति समर्पण का प्रमाण है।

चंबल संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. शाह आलम राना ने कहा कि 9 जनवरी 2025 को पंचनद तट पर उनकी प्रस्तुति कला प्रेमियों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव साबित होगी। हिमांशु शेखर परिदा की कलात्मकता आने वाले समय में भी भारतीय रेत कला को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाने और कला के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने का कार्य करेगी।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments