अंबेडकरनगर जिले के बसखारी क्षेत्र में जब भी कानून व्यवस्था की बात होती है, तो एक नाम सबसे पहले लोगों के जुबान पर आता है — संत कुमार सिंह। बसखारी थाना प्रभारी, श्री सिंह ने न केवल पुलिसिंग को एक जिम्मेदारी के रूप में निभाया है, बल्कि उसे एक सेवा का स्वरूप भी दिया है। उनकी कार्यशैली, निर्णय लेने की तत्परता और आमजन के साथ जुड़ाव ने बसखारी को अपराधमुक्त और भयमुक्त बनाने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया है।
बसखारी जैसे अर्ध-ग्रामीण क्षेत्र में पुलिसिंग की चुनौतियाँ अनेक हैं — अवैध कारोबार, सामाजिक विद्वेष, नशे का जाल, और राजनीतिक दबाव। इन सभी मोर्चों पर संत कुमार सिंह की भूमिका न केवल साहसिक रही है, बल्कि उदाहरणीय भी रही है। चाहे अवैध बसों की धरपकड़ हो, अपराधियों के विरुद्ध छापामारी अभियान, या फिर त्योहारों पर शांति व्यवस्था बनाए रखने की बात हो — हर बार उनका नेतृत्व और सक्रियता दिखाई दी है।
योग दिवस पर स्वयं योग गुरु बनकर लोगों को प्रेरित करना यह दर्शाता है कि वह केवल कानून का अनुशासन ही नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक ऊर्जा भी प्रसारित करना जानते हैं। इसी तरह, पीस कमेटी की बैठकों में उनकी भागीदारी व संवाद कौशल यह साबित करता है कि वह सामुदायिक पुलिसिंग की सच्ची भावना में विश्वास रखते हैं।
एक ओर जहाँ आज भी कई थानों में पुलिस और आम जनता के बीच अविश्वास की दीवारें बनी हुई हैं, वहीं संत कुमार सिंह जैसे अधिकारियों की कार्यशैली इस खाई को पाटने का कार्य कर रही है। उनका व्यवहारिक दृष्टिकोण, त्वरित प्रतिक्रिया और पारदर्शिता — ये सब उन्हें एक संवेदनशील, प्रभावशाली और लोक-कल्याणकारी थाना प्रभारी बनाते हैं।
हमें ऐसे अधिकारियों पर गर्व है, और यह अपेक्षा करते हैं कि उनकी कार्यशैली और उपलब्धियाँ अन्य पुलिस अधिकारियों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बनें। बसखारी जैसे क्षेत्रों को ऐसे ही सशक्त नेतृत्व की जरूरत है — जो न केवल डर कम करे, बल्कि भरोसा भी बढ़ाए।