Sunday, July 6, 2025
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शिक्षामित्रों के मानदेय वृद्धि की व्यवस्था बजट में नहीं होने से नाराजगी

अम्बेडकर नगर। 22 फरवरी 2025 उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पेश किए गए बजट में शिक्षामित्रों के मानदेय वृद्धि की व्यवस्था नहीं होने से शिक्षामित्रों में घोर निराशा व नाराजगी व्याप्त है। शिक्षामित्र उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में 24 बर्षो से नियमित शिक्षकों की तरह कार्य करते हैं तथा शिक्षक की सभी योग्यता रखते हैं। लम्बे समय से शिक्षामित्रों द्वारा मानदेय वृद्धि की मांग की जा रही है। लेकिन आठ वर्षों से अभी तक शिक्षामित्रों के मानदेय में सरकार द्वारा 1 पैसे की वृद्धि नहीं किया गया। इस कमरतोड़ महंगाई में आर्थिक तंगी के चलते शिक्षामित्रों को अपना परिवार पालना मुश्किल हो गया है ।जिसके कारण आर्थिक तंगी से परेशान होकर लगभग 12 हजार से अधिक शिक्षामित्रों ने मौत को गले लगा लिया। फिर भी सरकार द्वारा शिक्षामित्रों के मानदेय में कोई वृद्धि नहीं किया गया। शिक्षामित्र शिक्षक संघ अम्बेडकर नगर के जिला अध्यक्ष व शिक्षामित्र केयर समिति अंबेडकर नगर के जिला संयोजक राम चन्दर मौर्य ने कहा कि शिक्षामित्रों के मानदेय वृद्धि का सरकार द्वारा पेश बजट में प्रावधान न होने से शिक्षामित्रों में घोर निराशा व नाराजगी व्याप्त है। जिलाध्यक्ष जिला संयोजक राम चन्दर मौर्य ने कहा कि जहां कमरतोड़ महंगाई में आर्थिक तंगी से परेशान शिक्षामित्रों को राहत प्रदान करने के लिए मानदेय वृद्धि की जरूरत थी तो वहां सरकार द्वारा शिक्षामित्रों को आयुष्मान कार्ड का झुनझुना पकड़ाया जा रहा है। जिसका लाभ पाने के लिए शिक्षामित्रों को बीमार होना पड़ेगा। पूर्व में सरकार द्वारा विभिन्न समाचार पत्रों खबरों के माध्यम से मानदेय वृद्धि की घोषणा भी की जा चुकी है। समय-समय पर सरकार द्वारा शिक्षामित्रों को लेकर कई कमेटियां भी गठित की गयी लेकिन परिणाम शून्य रहा। शिक्षामित्रों के मूल निकटतम विद्यालय समायोजन सम्बन्धित शासनादेश जारी होने के बाद भी समायोजन की प्रक्रिया ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। पेश किए गए बजट कों लेकर शिक्षामित्रों में निराशा व नाराजगी है। जिलाध्यक्ष / जिला संयोजक राम चन्दर मौर्य ने कहा कि शिक्षामित्र शिक्षक संघ द्वारा मांग की जाती है कि शिक्षामित्रों के मानदेय में वृद्धि करते हुए नियमित शिक्षकों जैसी व्यवस्था प्रदान किया जाये। यदि सरकार द्वारा शिक्षामित्रों की मांगों को लेकर ठोस कदम नहीं उठाया गया तो शिक्षामित्र पुनः आन्दोलन करने के लिए बाध्य होगा।

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