अंबेडकरनगर। नगर पंचायत अशरफपुर किछौछा के वार्ड संख्या 13, रसूलपुर निवासी मिश्रीलाल पुत्र स्वर्गीय राम हरख ने अपनी पैतृक भूमि पर नगर पंचायत द्वारा की जा रही जबरन बुलडोजर कार्रवाई को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़ित का कहना है कि वह कई पुस्तो से इस भूमि पर रह रहे हैं, लेकिन बिना किसी वैधानिक नोटिस या न्यायिक निस्तारण के प्रशासन ने बलपूर्वक कार्रवाई की, जो पूरी तरह गैरकानूनी और अमानवीय है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, बुलडोज़र (UP45SG0308) चालक सुहेल उर्फ ठाकुर पुत्र मुन्ना सलमानी के साथ नगर पंचायत के अधिकारी—बड़े बाबू अभिषेक यादव, सफाई नायक परिमेश्वर दत्त पांडे व अन्य सफाईकर्मी और बाहरी लोगों ने मिश्रीलाल के घर पर कथित रूप से हमला किया। पीड़ित ने बताया कि शिवा पुत्र हनुमान, तूफानी पुत्र संग्राम, लाल चंद चुन्नीलाल, हरिराम, वीरेन्द्र, राकेश, विशाल, आशाराम, दिलीप, नगेन्द्र, अनीता, राममती, इन्द्रावती, कैलाशी, यशोधरा और रनीशा सहित दर्जनों लोगों ने उनके घर पर धावा बोला।
हमले में मिश्रीलाल के परिवार के सदस्यों को बेरहमी से पीटा गया, उनका स्नानघर व शौचालय तोड़ दिए गए, गाय की नाद और जामुन सहित कई हरे पेड़ भी काट डाले गए। मिश्रीलाल का यह भी आरोप है कि जेसीबी मशीन से उनके परिवार को कुचलने की कोशिश की गई, जिससे जान बचाकर भागना पड़ा। हमलावरों ने खुलेआम जान से मारने की धमकी दी।
दबंगों का अवैध कब्जा, प्रशासन मौन
मिश्रीलाल ने बताया कि गांव के ही कुछ दबंग लोग अब उक्त भूमि पर जबरन कब्जा कर रहे हैं। इसके बावजूद नगर पंचायत और प्रशासन की ओर से उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या कानून केवल आम नागरिकों के लिए है, और दबंगों को खुलेआम संरक्षण मिल रहा है?
मिट्टी भराई से घर बना गड्ढा, जलभराव की विकराल समस्या!
पीड़ित के अनुसार, नगर पंचायत द्वारा जबरन मिट्टी डलवाकर भूमि को समतल कर दिया गया, जिससे उनका मकान गड्ढे में तब्दील हो गया है। बारिश में चारों ओर पानी भर जाता है और नल की जल आपूर्ति का पानी भी घर में एकत्रित हो जाता है। जीवनयापन कठिन हो गया है। नगर पंचायत द्वारा जल निकासी के लिए पक्की नाली बनवाने का आश्वासन भी दिया गया था, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
पूर्व में ज्ञापन, फिर भी कार्रवाई नहीं!
मिश्रीलाल ने बताया कि पूर्व में निषाद पार्टी के एक प्रदर्शन के दौरान जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया था। इसके बाद एसएचओ, ईओ और लेखपाल मौके पर आए थे और स्थिति का जायजा भी लिया गया था, फिर भी कोई समाधान नहीं निकाला गया।
मिश्रीलाल की मांग!
पीड़ित ने जिला प्रशासन से मांग की है कि जब तक पूरे प्रकरण का न्यायिक समाधान नहीं हो जाता, तब तक किसी भी प्रकार की निर्माण या अतिक्रमण कार्रवाई रोकी जाए। उन्होंने कहा कि बिना वैधानिक प्रक्रिया के की जा रही कोई भी कार्यवाही न केवल असंवेदनशील है, बल्कि संविधान और न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ भी है।
सवाल अनुत्तरित हैं:
- क्या वर्षों से निवास कर रहे नागरिकों को बिना सुनवाई बेदखल किया जा सकता है?
- क्या दबंगों के सामने प्रशासन और नगर पंचायत की भूमिका सिर्फ मौन दर्शक की रह गई है?
- आखिर कब मिलेगा पीड़ित को न्याय और सुरक्षित जीवन का अधिकार?
इस मामले ने न केवल स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि न्यायिक प्रक्रिया और आमजन की आवाज़ किस कदर अनसुनी हो रही है। जरूरत है कि उच्च अधिकारी तत्काल हस्तक्षेप कर पीड़ित को राहत और दोषियों को दंड दिलवाएं।