Monday, June 2, 2025
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पति की मौत के गम में पत्नी ने तोड़ा दम एक साथ उठी पति पत्नी की अर्थी

अम्बेडकरनगर। साथ जीने मरने की कसम खाकर जिंदगी के कई साल एक साथ बिताने वाले पति-पत्नी की अर्थी एक साथ उठी । दोनों के बीच इतना अटूट प्रेम था कि पति की अर्थी उठती देख पत्नी बिछोह सह न पाई और उसने भी दम तोड दिया। इसके बाद दोनों का अंतिम संस्कार एक चिता पर किया गया।
जिले के राजेसुल्तानपुर के केदरुपुर गांव में पति-पत्नी के अमर प्रेम का मामला सामने आया है। जिसमें पति की हार्ट अटैक से हुई मौत के बाद सदमे में पत्नी ने भी दम तोड़ दिया।जीवन भर साथ निभाने का वादा करने वाले दोनों दंपति की अर्थी एक साथ उठी और एक साथ ही दोनों पंच तत्व में विलीन हो गए।बताया जाता है कि थाना क्षेत्र राजेसुल्तानपुर के केदरुपुर गांव निवासी त्रियुगी नारायण पाठक के पुत्र मनोज पाठक उम्र 37 साल सपरिवार दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करते थे। होली में मनोज पाठक बच्चों और पत्नी को दिल्ली में छोड़ कर घर आए थे।जहां रविवार की रात में अचानक हुए हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई। जिसके बाद दिल्ली से उनके परिवार को उनकी तबियत खराब होने की सूचना दी गई। पत्नी गुंजन पाठक दोनों बच्चे पुत्री राशि उम्र 13 साल और पुत्र सार्थक 4 साल के साथ घर पहुंचे। मंगलवार को जब मनोज पाठक की अर्थी उठी और घर से चंद कदम दूर तक पहुंची थी कि पत्नी गुंजन पाठक पति की मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाई और पछाड़ खा कर गिर गई और पति की अर्थी को जाते देख गुंजन पाठक ने भी दम तोड़ दिया।पति की मौत के सदमे से पत्नी की भी मौत होने से हर कोई स्तब्ध और गमगीन हो गया। मृतक जिले के वरिष्ठ सपा नेता बालगोविंद त्रिपाठी के रिश्ते में साढ़ू थे। घटना से केदरुपुर गांव में मातम पसरा हुआ है। बाद में पति के साथ ही पत्नी की भी अर्थी सजाई गई और दोनों के शव का अंतिम संस्कार एक साथ कमहरिया घाट पर हुआ।

अनाथ बच्चों के करुण क्रंदन से रोया हर शख्स

केदरूपुर गांव में मंगलवार को जहां मातमी सन्नाटा पसरा रहा वहीं गांव के साथ ही पूरे इलाके में अनाथ हुए दोनों बच्चों के करुण क्रंदन से हर शख्स रोया। गांव में चूल्हे नहीं। जले। पिता मनोज पाठक की मौत का सदमा उनके दोनों बच्चे पुत्री राशि 13 साल और पुत्र सार्थक 4 साल सह भी नहीं पाए थे कि क्रूर नियति ने दोनों बच्चों से मां का आंचल भी छीन लिया। बच्चों के आंखों से बहते आंसू मौके पर मौजूद सैकड़ों लोगों के सीने पर पत्थर बनकर गिर रहे थे। मासूम सार्थक और राशि के करुण क्रंदन से हर किसी के आंखों से आंसुओं की धारा बहा रहे थे। दोनों ही बच्चों के सिर से मां और पिता का साया एक साथ उठने से पूरे गांव में चूल्हे नहीं जले और गांव में मातम पसरा रहा।

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