वैज्ञानिकों ने एक नए प्रयोग में पाया है कि यदि जीवित जीवों को शुक्र अपने जहरीले बादलों में रखता है तो वे अमीनो एसिड से वंचित नहीं रहेंगे जो जीवन का एक महत्वपूर्ण निर्माण खंड है। शुक्र, जो पृथ्वी का एक जुड़वा ग्रह है जिसका तापमान उच्च है जो सैकड़ों डिग्री से भी अधिक है और संक्षारक सल्फ्यूरिक एसिड के बादलों से ढका हुआ है। यह एसिड एक रंगहीन, कार्सिनोजेनिक तरल है जो दांतों को नष्ट कर देता है। हमारी आंखों, गले और नाक में जलन पैदा करता है और धातुओं को घोल देता है। भले ही चट्टानी ग्रह को जीवित जीवों के लिए रहने योग्य प्रणाली के रूप में नहीं देखा जाता है। वहीं वैज्ञानिकों का सुझाव है कि यदि शुक्र के नारकीय वातावरण में कोई जीवन उभरा है तो उसे इसके हानिकारक बादलों में घूमते हुए पाया जा सकता है। इन बादलों का तापमान ग्रह की सतह की तुलना में ठंडा होता है और ये कुछ प्रकार के चरम जीवन रूपों का समर्थन कर सकते हैं। नए प्रयोग में जो मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं द्वारा उसी तर्ज पर किया गया था। यह पाया गया कि सल्फ्यूरिक एसिड समाधान में कम से कम एक महीने के लिए 19 अमीनो एसिड का अस्तित्व था। जिसमें कुछ शामिल थे पानी। समाधान की सल्फ्यूरिक एसिड सांद्रता वीनसियन बादलों की सामग्री के समान थी। परिणामों में यह पाया गया कि सल्फ्यूरिक एसिड कार्बनिक रसायन विज्ञान के लिए सार्वभौमिक रूप से प्रतिकूल नहीं है जो पृथ्वी पर मौजूद है। इसने यह भी सुझाव दिया कि शुक्र के बादल इनमें से कम से कम कुछ जटिल अणुओं की मेजबानी कर सकते हैं।
शुक्र ग्रह पर जीवन पृथ्वी जैसा नहीं: वैज्ञानिक
एक बयान में एमआईटी के खगोल भौतिकीविद् और ग्रह वैज्ञानिक और नए अध्ययन के सह-लेखक सारा सीगर ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि वहां जीवन यहां जैसा ही होगा। असल में हम जानते हैं कि यह नहीं हो सकता है ।उन्होंने कहा कि लेकिन यह काम इस धारणा को आगे बढ़ाता है कि शुक्र के बादल जीवन के लिए आवश्यक जटिल रसायनों का समर्थन कर सकते हैं। एमआईटी के पृथ्वी,वायुमंडलीय और ग्रह विज्ञान विभाग (ईएपीएस) के अध्ययन के सह-लेखक जानुस पेटकोव्स्की ने कहाकि लोगों की यह धारणा है कि केंद्रित सल्फ्यूरिक एसिड एक बेहद आक्रामक विलायक है जो हर चीज को टुकड़ों में काट देगा। लेकिन हम पा रहे हैं कि यह जरूरी नहीं कि सच हो।