बसखारी (अंबेडकरनगर)। भारतीय संविधान सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है, लेकिन बसखारी क्षेत्र से जुड़े कुछ प्रभावशाली नामों पर गंभीर धाराओं में दर्ज मुकदमों के बावजूद उनका बेधड़क विदेश दौरा करना और पासपोर्ट व वीज़ा का निर्बाध रूप से मिल जाना प्रशासनिक प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
बसखारी निवासी सैयद मोईनुद्दीन अशरफ सहित अन्य कुछ व्यक्तियों पर गंभीर आपराधिक धाराओं में दो दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज होने के बाद भी न केवल उनका पासपोर्ट सत्यापित हो रहा है, बल्कि वे विदेश यात्रा भी कर रहे हैं। दूसरी ओर, आम नागरिकों के विरुद्ध यदि एक भी मामला दर्ज हो जाए तो जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक यहाँ तक कि संबंधित थानाध्यक्ष भी बात करने से कतराते हैं।
इस दोहरे मापदंड को लेकर आम जनमानस में आक्रोश है और चर्चा जोरों पर है। लोगों का सवाल है कि — “आखिर किस अधिकार और नियम के तहत इन आरोपितों का पासपोर्ट वेरीफिकेशन हो रहा है?”
सूत्रों के अनुसार, पासपोर्ट जारी होने से पहले संबंधित थाने से चरित्र सत्यापन रिपोर्ट (Police Clearance Certificate) अनिवार्य होती है। ऐसे में यदि आरोपी के विरुद्ध पहले से गंभीर मामले लंबित हैं, तो स्वाभाविक रूप से चरित्र सत्यापन में नकारात्मक रिपोर्ट जानी चाहिए, जिससे पासपोर्ट या वीज़ा रोका जा सके। परंतु बसखारी और किछौछा क्षेत्र से जुड़े कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों को यह सुविधा कैसे प्राप्त हो रही है, यह एक “यक्ष प्रश्न” बन चुका है।
प्रशासनिक और खुफिया तंत्र पर सवाल
इन मामलों ने जिला प्रशासन, पुलिस, खुफिया एजेंसियों और पासपोर्ट विभाग की कार्यप्रणाली पर भी गहरा प्रश्नचिह्न लगा दिया है। क्या प्रभावशाली रसूख, राजनीतिक पहुंच या सरकारी तंत्र की मिलीभगत इन विशेष व्यक्तियों को नियमों से ऊपर रख रही है?
यदि प्रशासन ऐसे मामलों में पारदर्शिता नहीं दिखाता, तो यह ना केवल संविधान की भावना के विपरीत है बल्कि आम नागरिकों में शासन के प्रति विश्वास भी डगमगाएगा।