अंबेडकरनगर जनपद के विकासखंड बसखारी अंतर्गत ग्राम सभा हंसवर में दो वर्ष पूर्व लाखों रुपए खर्च कर बनाई गई आरसीसी सड़क की मौजूदा दुर्दशा यह सोचने पर मजबूर करती है कि विकास का असली अर्थ आखिर क्या है? यह सड़क आज जगह-जगह से उखड़ चुकी है, गड्ढों में तब्दील हो चुकी है और लोगों के लिए परेशानी का सबब बन चुकी है। यह हाल किसी प्राकृतिक आपदा या वर्षों के उपयोग से नहीं, बल्कि निर्माण कार्य में की गई घोर लापरवाही और भ्रष्टाचार की देन है।
ग्रामवासियों की मानें तो निर्माण में घटिया सामग्री का प्रयोग किया गया और मानकों की खुलकर अनदेखी हुई। अगर निर्माण कार्य में पारदर्शिता होती और जिम्मेदार अधिकारी अपना दायित्व निभाते, तो दो वर्ष में ही यह हालात न होते। ग्रामसभा के मोहल्ला अकेलवा में बनी दूसरी सड़क भी अब उसी रास्ते पर है—गड्ढों और टूटन की ओर।
इस पूरे मामले में खंड विकास अधिकारी (BDO) की भूमिका पर गंभीर सवाल उठते हैं। क्या यह सड़क उन्हीं की देखरेख में नहीं बनी थी? क्या निर्माण एजेंसी को भुगतान बिना गुणवत्ता जांच के कर दिया गया? क्या स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों की कोई जिम्मेदारी तय की गई?
सड़कें किसी गांव की जीवनरेखा होती हैं। अगर यही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएं तो सवाल सिर्फ गड्ढों का नहीं, बल्कि पूरे तंत्र की निष्क्रियता का होता है। कोमल, लल्लन, राम केवल, राम नेवल, रामदुलारे, गंगाराम, अशोक और सूर्यभान जैसे दर्जनों ग्रामीणों की यह मांग पूरी तरह जायज है कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच हो और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
अब समय आ गया है कि दिखावे के विकास की जगह ज़मीनी हकीकत को तरजीह दी जाए। जनता अब गड्ढों में नहीं, जवाबदेही में विकास देखना चाहती है। वरना अगली सड़क सिर्फ टूटी हुई नहीं, भरोसे को भी चूर-चूर कर देगी।